Punjab Kesari 2020-07-24

कांग्रेस में नेतृत्व, नीति और नीयत का संकट

विगत दिनों कांग्रेस की राजस्थान ईकाई में आए झंझावत ने पार्टी के अस्तित्व पर पुन: प्रश्नचिन्ह लगा दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि 140 वर्ष पुराना राजनीतिक दल आज इच्छामृत्यु मानसिकता से ग्रस्त है। दीवार पर लिखी इस इबारत को पढ़कर कोई भी व्यक्ति (कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व- गांधी परिवार को छोड़कर) आसानी से इस नतीजे पर पहुंच सकता है। वास्तव में, कांग्रेस में संकट केवल नेतृत्व का ही नहीं है। पार्टी के तीव्र क्षरण में कांग्रेस नेतृत्व की खोटी नीयत और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर नीतियों के नितांत अभाव का भी सामान योगदान है। यदि किसी दल में नेतृत्व का टोटा हो, नीयत में कपट हो और नीतियों में भारी घालमेल हो- तो स्वाभाविक रूप से उस दल का न तो वर्तमान है और न ही कोई भविष्य।
Punjab Kesari 2020-02-14

दिल्ली विधानसभा चुनाव:- परिणाम विकास प्रेरित या सांप्रदायिक?

दिल्ली विधानसभा चुनाव क्या विकास के मुद्दों पर ही लड़ा गया या सांप्रदायिक आधार पर? इस प्रश्न का उत्तर- हां और ना दोनों में है। इस चुनाव की सच्चाई यह है कि दिल्ली के मुसलमानों ने सांप्रदायिक आधार पर एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए वोट दिया। इसके विपरीत, हिंदू मतदाताओं के एक वर्ग ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके "नए व्यक्तित्व" और उनकी सरकार की लोकलुभावन नीतियों (बिजली, पानी सहित) के कारण फिर से चुना। दिल्ली में कुल 1.48 करोड़ मतदाताओं में 12 प्रतिशत- लगभग 18 लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता है। माना जाता है कि इस चुनाव में 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाताओं ने "आप" को वोट दिया। शाहीनबाग- जोकि चुनाव से पहले ही इस्लामी पहचान व अस्मिता का प्रतीक बन चुका था, जहां असम को भारत से काटने जैसी राष्ट्रविरोधी योजनाओं की रूपरेखा खींची गई- वहां से (ओखला सीट) "आप" प्रत्याशी मोहम्मद अमानातुल्ला को एकतरफा 66 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ और वोट-अंतर के संदर्भ में दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की। सीलमपुर, मटियामहल, चांदनी चौक, बल्लीमरान, बाबरपुर और मुस्तफाबाद जैसे मुस्लिम प्रभुत्व वाली सीट- जहां मुस्लिम आबादी 30-70 प्रतिशत के बीच है- वहां भी "आप" प्रत्याशियों ने 53 से 75 प्रतिशत मतों के साथ एकतरफा विजय प्राप्त की।
Punjab Kesari 2020-01-31

रजनीकांत पर गुस्सा क्यों?

देश के लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक और "थलाइवा" नाम से विख्यात- रजनीकांत (शिवाजीराव गायकवाड़) इन दिनों सुर्खियों में है। पिछले 45 वर्षों से दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ हिंदी सिनेमा में भी अपने दमदार अभिनय और संवाद के कारण वे देश-विदेश में बसे अपने करोड़ों प्रशंसकों के दिलों पर राज कर रहे है। फिर ऐसा क्या हुआ कि अपनी कर्मभूमि तमिलनाडु में एक वर्ग उनका न केवल विरोध कर रहा है, अपितु उनसे नाराज भी हो गया है? इसका संबंध प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक पत्रिका "तुगलक" की 50वीं वर्षगांठ पर 14 जनवरी को आयोजित वह कार्यक्रम है, जिसमें रजनीकांत ने कहा था- "तमिलनाडु के सेलम में एक रैली के दौरान पेरियार (इरोड वेंकट रामासामी नायकर) ने श्रीरामचंद्र और सीता की निर्वस्त्र मूर्तियों का जूतों की माला के साथ जुलूस निकाला था। किसी ने ये ख़बर नहीं छापी थी, किंतु चो रामास्वामी (तुगलक पत्रिका के संस्थापक और तत्कालीन संपादक) ने इसकी कड़ी आलोचना की थी और पत्रिका के मुख्यपृष्ठ पर इसे प्रकाशित किया था।" रजनीकांत के इस वक्तव्य से एकाएक मुख्य विपक्षी दल डीएमके (द्रमुक) और उसके समर्थक संगठन भड़क उठे। उनका कहना है- "रजनीकांत अपने वक्तव्य पर पुनर्विचार करें और झूठ बोलने के लिए माफी मांगे।" इसपर रजनीकांत का कहना है- "मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटूंगा, मैं इसे सिद्ध भी कर सकता हूं।"





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