Punjab Kesari 2020-03-20

कोविड-19 या चाइनीज वायरस!

आलेख लिखे जाने तक, भारत में 170 से अधिक लोग वैश्विक महामारी कोविड-19 से संक्रमित है। अबतक इससे देश में 4 की मृत्यु हो चुकी है, जो सभी 60 आयुवर्ष- अर्थात् वृद्ध थे। इस संकट से निपटने और लोगों जागरुक करने की दिशा में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (19 मार्च) राष्ट्र के नाम संदेश भी दिया। बात यदि शेष विश्व की करें, तो यह खतरनाक वायरस चीन के बाद इटली सहित 162 देशों में फैल गया है और लगभग 9,000 लोगों का जीवन समाप्त कर चुका है। आलेख लिखे जाने तक, 2.20 लाख से अधिक लोग पूरे विश्व में इस वायरस से संक्रमित है, तो 85 हजार लोग ऐसे भी है, जो समय रहते चिकित्सीय निरीक्षण में आने के बाद स्वस्थ भी हो गए। इस वैश्विक महासंकट के कारण भारत सहित कई देशों ने अपना संपर्क शेष विश्व से कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार बुरी तरह प्रभावित हो गए। आंतरिक रूप से कई देशों की सरकारों (प्रांतीय सरकार सहित) ने स्कूल कॉलेज आदि शिक्षण संस्थान, मॉल, सिनेमाघर, बाजार और एक स्थान पर इकट्ठा होने आदि पर सशर्त प्रतिबंध लगा दिया है। बचाव में उठाए गए इन कदमों से विश्वभर में सामान्य जीवन मानो ऐसा हो गया है, जैसे कई दशकों पहले हुआ करती थी। इस वायरस से बचने की औषधियां बनाने या फिर किन्हीं दो बड़े रोग रोधी दवाओं के मिश्रण से इसे ठीक करने के दावें तो किए जा रहे है, किंतु आधिकारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन या फिर किसी अन्य विश्वसनीय आयुर्विज्ञान संस्था की ओर से ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है। सच तो यह है कि यदि चिकित्सीय वैज्ञानिक कोविड-19 रोधी किसी दवा का अविष्कार कर भी लेते है, तो उसे भारत सहित पूरे विश्व तक पहुंचाने में कम से कम छह माह का समय लग जाएगा। ऐसे में यह वायरस आने वाले समय में विश्व को और कितना नुकसान पहुंचाएगा, इसका उत्तर अभी फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। यह निर्विवाद सत्य है कि संपूर्ण विश्व को गहरे संकट में डालने वाला कोविड-19 वायरस का जन्म चीन की धरती पर हुआ है। कई मीडिया रिपोर्ट्स से स्पष्ट है कि चीन के बड़े प्रांत वुहान में इस वायरस का पहला मामला नवंबर 2019 में आया था, जिसे साम्यवादी चीन की अधिनायकवादी सरकार ने दुनिया से न केवल छिपाया, अपितु जिन चीनी चिकित्सकों ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया में साझा करने की हिम्मत दिखाई, उनपर सख्त राजकीय कार्रवाई भी कर दी। यही कारण है कि इस वायरस का प्रारंभिक नाम वुहान वायरस पड़ा, जो बाद में नोवेल कोरोना से होते हुए आज कोविड-19 नाम में परिवर्तित हो गया है। चीन में जनित इस वैश्विक महामारी को लेकर दुनिया में मुख्य रूप से दो प्रकार की धारणाएं प्रचलित है। पहली धारणा- दावा किया जाता है कि यह वायरस चमगादड़ और सांप में पाया जाता है, जिसके सेवन करने से यह मनुष्य में फैल गया और कालांतर में संक्रमण होने के बाद मनुष्य से मनुष्य में फैलने लगा। यह सच है कि चीन के बाजारों में चमगादड़, सांप, चूहे, लोमड़ी, मगरमच्छ, भेड़िया, मोर और ऊंट सहित 100 से अधिक जीवों का मांस बिकता है। प्रारंभ में कहा भी यही गया था कि चमगादड़ों और सांपों का मांस खाने से वुहान कोरोना वायरस का केंद्र बन गया। इसलिए यहां इससे अबतक 3,250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, तो 84 हजार से अधिक संक्रमित है। दूसरी धारणा यह है कि कोविड-19 एक प्रकार का जैविक हथियार है या फिर यह चीन द्वारा जैविक हथियारों के विफल परीक्षण की भीषण प्रतिक्रिया है। इसे लेकर कई प्रकार दावे सोशल मीडिया पर भी किए जा रहे है। अमेरिकी, रूसी, चीनी और ईरानी आदि मीडिया-नेताओं की बात करें, तो वे मान रहे हैं कि कोरोना वायरस अपने आप पैदा नहीं हुआ है, बल्कि इसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए पैदा किया गया है। गत दिनों चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा था कि गहरी साजिश के माध्यम से कोरोना चीन आया है, जिसके लिए अमेरिकी सेना को जिम्मेदार है। वही अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते मंगलवार (17 मार्च) कोविड-19 को "चाइनीज वायरस" कहकर संबोधित करके नई बहस को जन्म दे दिया। उपरोक्त दोनों धारणाओं में सच्चाई कितनी है- इसका निर्णय तो भविष्य करेगा। परंतु एक बात तो स्पष्ट है कि कोविड-19 चीन की पैदाइश है, जिसकी जानकारी पहले डेढ़ महीने तक छिपाई गई और अब पूरा विश्व इस कारण संकट में है। चीन के बाद यूरोप- विशेषकर इटली इस वायरस का सर्वाधिक दंश झेल रहा है। इटली में लगभग 3,000 लोगों का जीवन यह वायरस समाप्त कर चुका है, तो 35 हजार से अधिक लोग संक्रमित है। यहां अकेले बुधवार (18 मार्च) को 475 लोगों ने दम तोड़ दिया। फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, स्वीडन, यूनाइडेट किंगडम, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, डेनमार्क जैसे यूरोपीय देशों में कोविड-19 हजारों का संक्रमित करते हुए कई लोगों की जिंदगियां लील चुका है, तो मुस्लिम बहुल मध्यपूर्व एशिया स्थित ईरान में 950 से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आकर मर चुके है, तो 16,000 से अधिक संक्रमित है। अमेरिका में भी इससे 140 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 9,500 से अधिक लोग संक्रमित है। विश्व के कई संपन्न देशों की तुलना, भारत में अभी तक कम मामले सामने आए है। इसका कारण यहां की गर्म भूगौलिक परिस्थिति के साथ भारत सरकार द्वारा समय रहते उठाए गए सख्त और प्रभावी कदम तो है ही, साथ ही यहां कम मामले होने का एक और कारण भारत में कोविड-19 का अभी "दूसरा चरण" होना है। अबतक के शोधों से स्पष्ट है कि इस वायरस को नियंत्रित करना अपेक्षाकृत इसलिए आसान है, क्योंकि यह अपने आप नहीं फैलता। या तो संक्रमण से किसी व्यक्ति का सीधा संपर्क हुआ हो या फिर वह संक्रमित रोगी के काफी निकट पहुंच गया हो। कोरोना के बारे में शोधकर्ताओं का आकलन है कि एक व्यक्ति से औसतन 2.3 लोगों में संक्रमण फैलेगा। इसका एक पक्ष यह भी है कि विश्व में कोविड-19 के जितने भी मामले सामने आए है, उसमें मृत्यु-दर केवल 3.6 प्रतिशत ही है। बकौल विशेषज्ञ, इस महामारी का एक भयावह पक्ष यह है कि किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने के लगभग दो हफ्ते तक कोविड-19 अपना प्रभाव नहीं दिखाता है। इस दौरान वह व्यक्ति जाने-अनजाने में कई अन्य लोगों को संक्रमित करने लगता है, जिसकी जानकारी बाद में जांच के दौरान मिलती है। इस पृष्ठभूमि में कई प्रकार की सूचनाएं-परामर्श सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से जनता के बीच पहुंचाई जा रही है। जैसे- एक स्थान पर इकट्ठा होने से बचें। अगले तीन-चार सप्ताह के लिए सामाजिक मेलजोल को या तो खत्म कर दें या फिर उसमें कमी लाएं। अपने हाथ नियमित रूप से पानी के साथ साधारण साबुन से धोएं या फिर अल्कोह्लयुक्त सैनेटाइजर का नियमित उपयोग करें। खांसने या छींकने वाले किसी भी व्यक्ति से कम से कम 1 मीटर (3 फीट) की दूरी बनाए रखें। इस प्रकार के कई बिंदुवार दिशा-निर्देश जारी किए गए है। क्या अकेले सरकार द्वारा उठाएं कदमों से आप और हम सुरक्षित रह सकते है? सच तो यह है कि जबतक सामान्य नागरिक अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं करेंगे या उसके प्रति सजग नहीं होंगे, तबतक देश से या यूं कहे कि पूरी दुनिया से कोविड-19 का खतरा नहीं टलेगा। विश्व की भावी पीढ़ी को यदि कोरोनावायरस जैसी महामारी से सुरक्षित रखना है या बचाना है, तो वैश्विक समाज को प्रकृति के प्रति प्रत्येक दर्शन के दृष्टिकोण और विचारधारा का ईमानदारी के साथ विश्लेषण करना होगा। कोविड-19 के भयावह रूप लेने से विश्व में कहीं न कहीं लोगों द्वारा शाकाहार भोजन को अपनाना, सामान्य जीवन में अभिवादन हेतु भारतीय परंपरा के प्रतीक नमस्ते को अंगीकार करना और भोजन की पवित्रता (सच्चा जूठा) व उसके स्वच्छ होने की प्रासंगिकता आदि को समझना- इस दिशा में सकारात्मक कदम है।